सच्चा मित्र

इस जैसा नहीं है कोई रिश्ता भले ना हो यह लहु का नाता। पल भर भी मिल जाए साथ इसका यह गम दुनिया भर का भुला जाता।। मित्र, मीत, मितवा, दोस्त, सखा चाहे जो कह दो रिश्ता यह पका। बेफिक्री के आलम में होता जब हर दुख को देता है धक्का।। केवल बैठने से साथ इसके जीवन की हर उलझन सुलझे। निज मीत हित हेतु बेख़ौफ बन बड़े से बड़े दुश्मन से उलझे।। चाहे दुःख हो या हो परिहास। कभी ना रखे एक दूसरे से आस। जीवन भर चलती है यह मित्रता संग मीत के प्रेम स्नेह विश्वास।। मोहताज नहीं यह केवल एक दिन का हर दिन होता है मित्रता दिवस जो सच्चा मन मीत मिल जाए बिरजू फिर बन जाए मौज हर दिवस।। बीजाराम गुगरवाल "बिरजू" स्टेट अवार्डी शिक्षक चारलाई कल्ला बाड़मेर 9660780535